Book Title: Jainagama Nirdeshika
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 981
________________ पिण्डनिर्युवित सूची गाधा ४६५-४७३ गाथा ४७४-४८० गाथा ४८१-४८३ गाथा ४८४ गाथा ४८५ गाथा ४८६ गाथा ४८७ गाथा ४८८ गाथा ४८६ गाथा ४६० गाथा ४६१ गाथा ४६२ गाथा ४६३-४६६ गाथा ५०० गाथा ५०१ गाथा ५०२ गाथा ५०३-५०५ गाथा ५०६-५०७ गाथा ५०८-५०६ गाथा ५१० ५११ गाथा ५१२ गाथा ५१३ गाथा ५१४ गाथा ५१५ Jain Education International ६५३ मानपिण्ड का उदाहरण मायापिण्ड का उदाहरण लोभविण्ड का उदाहरण क- संस्तव के दो भेद ख- प्रत्येक भेद के दो दो भेद पूर्व संस्तव और पश्चात् संस्तव परिचय करने की विधि पूर्व संस्तव का उदाहरण पश्चात् संस्तव का उदाहरण पूर्व-पश्चात् संस्तव के दोष वचन संस्तव की व्याख्या पूर्व संस्तव की व्याख्या पश्चात् संस्तव की व्याख्या विद्या और मंत्र दोष के उदाहरण गाथा ५१५ क- चूर्ण योग और मूलकर्म दोष ख- चूर्ण योग और सूलकर्म के उदाहरण चूर्ण दोष योग के दो भेद आहार्य पाद-लेपन योग का उदाहरण भूलकर्म का उदाहरण विवाह दोष का उदाहरण गर्भपात का उदाहरण मूलकर्म दोष की दोष रूपता ग्रहणैषणा की विशुद्धि गवेषणा और ग्रहणषणा की भिन्नता का कथन क- शंकित और अपरिणत ए दो दोष साधु स्वयं लगाता है For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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