Book Title: Jainagama Nirdeshika
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 985
________________ पिण्डनियुक्ति-सूची ६५७ गाथा ६२२ गाथा ५८७ गाथा ५८८ भोजन करती हुई से तथा मंथन करती हुई से आहारादि लेने का निषेध आठ प्रकार की निषेध दातृयों से आहारादि लेने का निषेध पांच प्रकार की दातृयों से आहारादि लेने का निषेध षटकाय व्यग्रहस्ता में आहारादि लेने का था ५८६-५६० गाथा ५६१ निषेध गाथा ५६२ इस संबंध में एक आचार्य का मत गाथा ५६३ दो प्रकार की दातृयों से आहारादि लेने का निषेध गाथा ५६४ साधारण तथा चोरी की वस्तु लेने का निषेध गाथा ५६५ प्राभृतिका अपाय और स्थापित द्रव्य लेने का निषेध गाथा ५९६ उपयोग युक्त और उपयोग रहित दाता की व्याख्या गाथा ५७.६०४ निषिद्ध दाताओं से अपवाद में आहारादि लेने का विधान गाथा ६०५-६०८ मिश्र द्रव्यों के अनेक भंग गाथा ६०६ क- अपरिणत द्रव्य के भेद ख- द्रव्य अपरिणत के ६ भेद गाथा ६१० द्रव्य अपरिणत की व्याख्या गाथा ६११ भाव अपरिणत दाता गाथा ६१२ भाव अपरिणत ग्रहिता गाथा ६१३-६२२ क- लेपकृत द्रव्य लेने का विधान ख- लेपकृत द्रव्य के संबंध में प्रश्नोत्तर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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