Book Title: Jainagama Nirdeshika
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 984
________________ पिण्डनियुक्ति-सूची गाथा ५८६ ग- परम्पर निक्षिप्त लेने का निषेध गाथा ५५८ सचित अचित्त और मिश्र पिहित की चतुर्भगो गाथा ५५६ अवान्तर भंग ४३२ बनाने की विधि गाथा ५६०-५६१ अनन्तरा पिहित और परंपरा पिहित का वर्णन गाथा ५६२ अचित्त पिहित की चतुभंगी गाथा ५६३ क- सचित्त अचित मिश्र और साधारण से संहृत रन- तीन चतुभंगी गाथा ५६४ चार सौ बत्तीस अवान्तर भंग गाथा ५६५ संहृत की व्याख्या गाथा ५६६ सचित्त अचित्त की चतुर्भगी। गाथा ५६७ आई और शुष्क की चतुभंगी गाथा ५६८ अल्प और अधिक की चतुर्भं गी गाथा ५६६-५७१ कल्प्य और अकल्प्य संहृत की चतुर्भंगी गाथा ५७२-५७७ दायक के चालीस भेद गाथा ५७८ क- अपवाद में २५ दायकों से लेना ख- पन्द्रह दायकों से अपवाद में भी न लेना गाथा ५७९ बालक से आहारादि लेने का निषेध गाथा ५८० वृद्ध से आहारादि लेने का निषेध गाथा ५८१ मत्त और उन्मत्त से आहारादि लेने का निषेध गाथा ५८२ कम्पित हाथवालों से और ज्वर ग्रस्त से आहा रादि लेने का निषेध गाथा ५८३ अंध और गलित कूष्ट वाले से आहारादिक लेने का निषेध गाथा ५८४ पादुका पहने हुए से, बद्ध से और हस्तपाद छिन्न से आहारादि लेने का निषेध गाथा ५८५ नपुंसक के हाथ से आहारादि लेने का निषेध गाथा ५८६ भिणी और बाल वत्सा से आहारादि लेने का Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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