Book Title: Jainagama Nirdeshika
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 987
________________ पिण्डनियुक्ति-सूची ६५९ गाथा ६७१ गाथा ६५५ गाथा ६५६-६५६ गाथा ६६० गाथा ६६१ आहार और पानी के विभाग सांगार और सधूम दोष अंगार और धूम की व्याख्या, आहार करने का प्रयोजन क- आहार करने के ६ कारण ख- आहार न करने के ६ कारण आहार करने के ६ कारणों का विवेचन आहार त्यागने का उपदेश आहार त्यागने के ६ कारणों का विवेचन एषणा के सेंतालीस दोष उपसंहार गाथा ६६२-६६४ गाथा ६६५ गाथा ६६६-६६८ गाथा ६६६ गाथा ६७०-६७१ जस्सारद्धा एए कहवि समत्तंति विग्घर हियस्स । सो लक्खिज्जइ भव्वो, पुव्वरिसी एवं भासंति ।। तम्हा जिणपण्णत्ते, अणंतगमपज्जवेहि संजुत्ते । सज्झाए जहाजोगं, गुरुपसाया अहिज्झिज्जा ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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