Book Title: Jainagama Nirdeshika
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 977
________________ पिण्डनियुक्ति-सूची गाथा ३३६ गाथा ३००-३०२ प्रगटीकरण के उदाहरण गाथा ३०३-३०४ कल्प्य और अकल्प्य प्रकाश करण गाथा ३०५ पात्र शुद्धि गाथा ३०६ क- क्रीतकृत के दो भेद ख- प्रत्येक क्रीतकृत के दो दो भेद ग- परद्रव्य क्रीत के तीन भेद गाथा ३०७ : आत्मक्रीत के दो भेद गाथा ३०८ आत्मक्रीत दोष की व्याख्या गाधा ३०६-३११ क- परभाव क्रीत दोष की व्याख्या ख- परभाव क्रीत दोष के सहभावी तीन दोषों का उदाहरण गाथा ३१२-३१५ आत्मभाव क्रीत के अनेक भेद गाथा ३१६ प्रामित्य दोष के दो भेद गाथा ३१७-३२० लौकिक प्रामित्य दोष का उदाहरण गाथा ३२१ लोकोत्तर प्रामित्य के दो भेद गाथा ३२२ लोकोत्तर प्रामित्य क अपवाद गाथा ३२३ क- परिवर्तित दोष के दो भेद । ख- प्रत्येक परिवर्तित दोष के दो दो भेद गाथा ३२४-३२६ लौकिक परिवर्तित का उदाहरण गाथा ३२७-३२८ लोकोत्तर परिवर्तित की व्याख्या गाथा ३२६ क- अभ्याहत के दो भेद ख- प्रत्येक अभ्याहृत दोष के दो दो भेद गाथा ३३० नो निशीथ अभ्याहृत के भेदानुभेद गाथा ३३१-३३२ जलमार्ग अभ्याहृत के अनेक भेद गाथा ३३३-३३५ क- स्व ग्राम अभ्याहृत के दो भेद ख- नो गृहांतक अभ्याहृत के अनेक भेद गाथा ३३६ निशीथ अभ्याहृत की व्याख्या Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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