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व्यवहारसूत्र-सूची
उ०१७ सूत्र ५
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२१ सर्पदंश चिकित्सा
क- निर्ग्रन्थ की सर्पदंश चिकित्सा ख- निर्गन्धी की सर्पदंश चिकित्सा ग- जिनकल्पी का आचार
षष्ठ उद्देशक
मोह विजय और गवेषणा क- गुरु जनों की आज्ञा से स्व-सम्बन्धियों के घर भिक्षार्थ जाना ख- आहार लेने की विधि
अतिशय आचार्य उपाध्याय के पांच अतिशय
गणावच्छेदक के दो अतिशय ४-७ अल्पश्रुत और बहुश्रुत
क- निर्ग्रन्थ और निग्रंथी को सर्वत्र छेद सूत्र के ज्ञाता के साथ रहना
खछेद सूत्र के ज्ञाता के बिना रहना ८-६ प्रायश्चित्त सूत्र ब्रह्मचर्य महावत
शुक्र क्षय करने वाले को चातुर्मासिक अनुद्घातिक प्रायश्चित्त १०-११ क- अन्य गण की निर्ग्रन्थी को प्रायश्चित्त दिये बिना न मिलाना
ख- प्रायश्चित्त देकर मिलाना
सप्तम उद्देशक १ क- अन्य गण के निग्रंथों को मिलाना
ख- अन्य गण की निग्रंथियों को निर्ग्रन्थियों में मिलाना २-३ सम्बन्ध विच्छेद
सम्बन्ध विच्छेद करना ख- इसी प्रकार निर्ग्रन्थी का सम्बन्ध विच्छेद करना ४-५ दीक्षित करना
क- निर्ग्रन्थ द्वारा निर्ग्रन्थी की दीक्षा
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