Book Title: Jainagama Nirdeshika
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 954
________________ गाथा १७२ ६५-६६ अहिंसा का फल ६७-६८ असत्य का त्याग ६६ सत्य की महिमा असत्य भाषण का फल १००-१०१ १०२-१०६ १०७-१३२ १३३-१३४ १३५ १३६ १३७ १३८ १३६ १४० १४१ १४२-१४४ १४५-१५० १५१. १५३ १५४ १५५ १५६ १५७-१६४ १६५-१६६ १६७-१६८ १६६-१७२ ६२६ अदत्तादान का त्याग ब्रह्मचर्य की आराधना परिग्रह त्याग निश्शल्य और सशल्य शल्यों के हेतु शल्यों के दृष्टान्त निदान शल्य साधक की चार कामनाएँ निदान शल्य का निषेध विषयी की दुर्दशा विषय -: - सुख इन्द्रिय निग्रह कषाय विजय उपदेशामृत का पान आज्ञानुसार आचरण करने का संकल्प वेदना सहन करना प्रतिज्ञा पर दृढ़ रहना धर्म महिमा नमस्कार सूत्र स्मरण उपसंहार भक्त परिज्ञा का फल Jain Education International क- जघन्य - सौधर्म देवलोक ख- उत्कृष्ट - गृहस्थ-अच्युत कल्प गसाधु - निर्वाण 77 For Private & Personal Use Only प्रकीर्णक-सूची www.jainelibrary.org

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