________________
प्रकीर्णक-सूची
९३८
गाथा ४६ १६१-१९३ देवताओं में लेश्या १६४-१६८ देवताओं की अवगाहना १६६-२०२ देवताओं का प्रविचार (मैथुन)
२०३ देवताओं की गन्ध २०४-२१७ विमानों की अवस्थिति २१८-२२० भवनों और विमानों का अल्प-बहुत्व २२१-२२४ अनुत्तर देवों का वर्णन २२५-२३२ देवताओं की आहारेच्छा और स्वासोच्छ्वास २३३-२४०
देवताओं के अवधिज्ञान का क्षेत्र २४१-२४७
विमानों की ऊँचाई आदि का वर्णन २४८-२७३ देवताओं का सामान्य परिचय तथा प्रासादों का वर्णन ७४-२७१ ईषत्प्राग्भारा का वर्णन २८०-३०२ सिद्धों का वर्णन (औपपातिक के समान)
जिनेन्द्र महिमा ३०७
उपसंहार मरण समाधि प्रकीर्णक
मंगलाचरण, आदि वाक्य २-७ अभ्युद्यत मरण की जिज्ञासा ८-११ अभ्युद्यत मरण का कथन १२-१४ आलोचक है वह आराधिक है
तीन प्रकार की आराधना १६-३५ दर्शन आराधक, आराधक का अल्प संसार ३६-३७ आहार करने के छ: कारण
आहार न करने के छः कारण ३६-४३ आराधक के लाभ ४४-४६ पंडित मरण के लिये उपदेश
WU
२
३०६
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org