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सूत्र ७७
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कल्पसूत्र-सूची
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वाशिष्ठ गोत्रिया त्रिशला क्षत्रियाणी घ- त्रिशला को अवस्वापिनी निद्रा ङ- हरिणैगमेषी का स्वस्थान के लिए प्रस्थान और शक्रेन्द्र से गर्भ
साहरण के सम्बन्ध में निवेदन २६ आश्विन कृष्णा त्रयोदशी-तियासीवीं रात्रि में गर्भ साहरण
भ० महावीर का अवधिज्ञान ३१-४७ क- देवानन्दा को स्वगर्भ साहरण का बोध, त्रिशला के चौदह
स्वप्न
त्रिशला का सिद्धार्थ को जगाना ४६-५७ त्रिशला की स्वप्न-फल पृच्छा ५१-५४ सिद्धार्थ का स्वप्नफल कथन
त्रिशला की स्वप्न-फल धारणा ५६ त्रिशला की धर्म जागरणा ७-६६ क- बाह्य उपस्थान शाला के सजाने का आदेश
ख- सिद्धार्थ के आवश्यक दैनिक-कृत्य ग- बाह्य उपस्थान शाला में आगमन घ- त्रिशला के लिये तथा स्वप्न-पाठकों के लिये भद्रासनादिकी
व्यवस्था ङ- स्वप्न पाठकों को आमंत्रण ६७-६८ स्वप्न पाठकों का आगमन ७०-७१ स्वप्न पाठकों से सिद्धार्थ की स्वप्नफल पृच्छा
क- स्वप्न-पाठकों का स्वप्न-फल कथन ७२-७४ ख- बयालीस स्वप्न, तीस महास्वप्न, सर्व बहत्तर स्वप्न ___ग- तीर्थंकर और चक्रवर्ती की माता के चौदह स्वप्न ७५ वासुदेव माता के सात स्वप्न
बलदेव माता के चार स्वप्न ওও मांडलिक माता का स्वप्न
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