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श्रु०१ अ०१६
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ज्ञाता०-सूची
१४० क- भ० महावीर का समवसरण, धन्ना सार्थवाह का धर्मश्रवण,
प्रव्रज्या ग्रहण, इग्यारह अंगों का अध्ययन, एक मास की संलेखना, सौधर्म देवलोक में देव होना, च्यवन, महाबिदेह में जन्म
और निर्वाण ख- निग्रंथ निग्रंथियों को भ० महावीर की धर्मशिक्षा। उपसंहार
एकोनविंशतितम पुण्डरीक अध्ययन १४१ क- उत्थानिका-जम्बूद्वीप. पूर्व विदेह. पुष्कलावती विजय. पुण्डरि
किणी राजधानी. नलिनी वन उद्यान. महापद्म राजा. पद्मावती
रानी. पुण्डरीक और कुण्डरीक दो राजकुमार ख- पुण्डरीक युवराज ग- स्थविरों का आगमन. धर्मश्रवण. पुण्डरीक को राज्यपद. कुण्ड
रीक को युवराजपद. महापद्म की प्रव्रज्या. चौदहपूर्व का अध्य
यन-यावत्-सिद्धपद १४२ स्थविरों का आगमन. धर्मश्रवण. पुण्डरीक का श्रमणोपासक
बनना. कुण्डरीक की प्रव्रज्या. स्थविरों का विहार १४३ क- पित्तदाह से पीडित कुण्डरीक मुनि का स्वास्थ्य लाभ के लिए
पुण्डरीकणी में आगमन. चिकित्सा. स्वास्थ्य लाभ. मनोज्ञ पदार्थों
में आसक्ति. ख- पुण्डरीक का समझाना
ग- कुण्डरी का राज्याभिषेक १४४ पुण्डरीक की प्रव्रज्या. चारयाम धर्म के आराधना की प्रतिज्ञा
पुण्डरिकिणी से विहार. स्थविरों से मिलन १४५ क- पुण्डरीक को पित्तज्वर. मृत्यु. सप्तम नरक में उत्पत्ति. उत्कृष्ट
स्थिति ख- निग्रंथ निग्रंथियों को भ० महावीर की शिक्षा १४६ क- पुण्डरीक की पुनः चातुर्याम धर्म आराधना करने की प्रतिज्ञा
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