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उत्तराध्ययन-सूची
अ० २२ गाथा ४ छ- विषयासक्ति ज- विद्योपजीवी होना झ- सदोष आहार का सेवन अथवा सर्वभक्षी होना
अ- अन्तिम समय में पश्चाताप और दुर्गति ५१ कुशील को छोड़कर महानिग्रंथों के पथपर चलने का उपदेश ५२ संयम साधना से शिवपद ५३ उपसंहार-महानिग्रंथ के जीवन का विस्तृत वर्णन ५४-५९ अनाथी निग्रंथ से श्रेणिक की क्षमा याचना, स्वस्थान गमन
मुनि जीवन की विहग-पक्षी-जीवन से तुलना इकबीस वां समुद्रपालीय अध्ययन चम्पा निवासी पालित श्रावक भ० महावीर का शिष्य पालित का पिंहुडनगर जाना पालित का विवाह, गर्भवती स्त्री को साथ लेकर स्वदेश के लिये प्रस्थान करना
समुद्र में प्रसव, समुद्रपाल नाम ५-७ चंपा में समुद्रपाल का संवर्धन, अध्ययन और विवाह ८-१० वध्य भूमि की और ले जाते हुए चोर को देखकर समुद्रपाल
को वैराग्य, प्रवज्या ग्रहण ११-२२ समूद्रपाल की संयम साधना
समुद्रपाल को केवल ज्ञान २४ समुद्रपाल का संसार समुद्र से पार होना
बावोस वां रहनेमीय अध्ययन शौरीपुर में वसुदेव राजा बसुदेव के दो भार्या और दो पुत्र शौरीपुर में समुद्र विजय राजा शिवा के पुत्र अरिष्टनेमि .
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