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नन्दीसूत्र-सूची
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सूत्र ४४
गाथा ८२ मति ज्ञान के चार भेद
८३ अवग्न ह आदि चारों की परिभाषा ८४ अवग्रह आदि चारों की स्थिति ८५ शब्द और रूप अप्राप्यकारी
गंध, रस और स्पर्श प्राप्यकारी ८६ सम श्रेणि और विषमश्रेणि में सुनने योग्य शब्द
८७ मति-ज्ञान के समानार्थक शब्द सूत्र ३७ श्रुतज्ञान के चौदह भेद ३८ क- अक्षर श्र त के तीन भेद
ख- प्रत्येक भेद की व्याख्या
ग- अनक्षर श्रुत के अनेक भेद ३६ संज्ञि और असंज्ञि श्रुत के तीन भेद, प्रत्येक भेद की व्याख्या
सम्यक् श्रुत की व्याख्या
मिथ्या श्रुत की व्याख्या क- सादि सान्त और अनादि अनन्त श्रुत के चार भेद ख- सादि सान्त और अनादि अनन्त श्रुत के वैकल्पिक दो भेद ग- ज्ञानावरण से अनावृत आत्म-प्रदेशों के आवृत होने पर
अजीव होने की आशङ्का
मेघाच्छादित चन्द्र-सूर्य का उदाहरण क- गमिक, अगमिक श्रुत ख- श्रतज्ञान के वैकल्पिक दो भेद ग- अंगबाह्य श्रुत के दो भेद घ- आवश्यक के छः भेद ड- आवश्यक व्यतिरिक्त के दो भेद च- उत्कालिक श्रुत के अनेक भेद छ- कालिक श्रुत के अनेक भेद
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