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सूत्र ४८-५२
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जीवाभिगम-सूची
थ- भवनवासिनी देवियों की
जघन्य उत्कृष्ट स्थिति द- व्यन्तर देवियों की घ- ज्योतिष्क देवियों की न- चन्द्र विमानवासिनी देवियों की
सूर्य विमानवासिनी देवियों की ग्रह , , नक्षत्र ,
तारा . प- विमानवासिनी देवियों की
सौधर्म , ,
ईशान , , ४८ क- स्त्री संस्थिति काल की पांच विवक्षा
ख- तिर्यंचयोनिक स्त्रियों का संस्थिति काल ग- मनुष्ययोनिक स्त्रियों का संस्थिति काल
घ- देवियों का संस्थिति काल ४६ क- स्त्री पर्याय से पुनः स्त्री पर्याय के प्राप्त होने का जघन्योत्कृष्ट
अंतर काल ख- तिर्यंच स्त्री से पुनः तिर्यंच स्त्री होने का जघन्योत्कृष्ट अंतर काल ग- मनुष्य स्त्री से पुन: मनुष्य स्त्री होने का ,
घ- देव स्त्री से पुन: देव स्त्री होने का ५० तिर्यंच मनुष्य और देव स्त्रियों का अल्प-बहत्व ५१ क- स्त्री वेदनीय कर्म की जघन्योत्कृष्ट बन्ध स्थिति
ख- स्त्री वेदनीय कर्म का अबाधा काल ग- स्त्री वेदनीय कर्म का
पुरुष ५२ क. पुरुष
तीन प्रकार के ख- तिर्यंच योनिक पुरुष
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