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पद २ सूत्र २४-२६
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प्रज्ञापना-सूची
ख- धूमप्रभा में नरकावास। शेष सूत्र १८ के समान २४ क- तमःप्रभा में पर्याप्त-अपर्याप्त नैरयिकों के समान
ख- " में नरकावास । शेष सूत्र १८ के समान २५ क- तमस्तम. प्रभा में पर्याप्त-अपर्याप्त नै रयिकों के स्थान
ख- " में नरकावास । शेष सूत्र १८ के समान
ग- नरकावासों की सूचक चार गाथा २३ क- पर्याप्त-अपर्याप्त तिर्यंच पचेन्द्रियों के स्थान
शेष सूत्र १४ के समान १
मनुष्यों के स्थान २७ क- पर्याप्त-अपर्याप्त मनुष्यों के स्थान
ख- उत्पत्ति की अपेक्षा पर्याप्त-अपर्याप्त मनुष्यों के स्थान ग- समुद्घात की अपेक्षा घ- स्वस्थान की अरेक्षा
देवों के स्थान प्रादि का वर्णन
भवनवासी देवों का वर्णन क- पर्यापन-अपर्याप्त भवनवासी देवों के स्थान ख- भवनवासी देवों के सर्वभवन ग- भवनों की रचना एवं महिमा घ- दस भवनपतियों के नाम हु- " के परिचय चिन्ह
का वैभव २६ क- पर्याप्त-अपर्याप्त असुरकुमारों के स्थान
3. यह सूत्र रचनाक्रम के अनुसार सत्रहवें सूत्र के स्थान में होता तो
अधिक संगत होता किन्तु सत्रहवें सूत्र की रचना का क्या हेतु है यह विचारणीय है।
सं० मुनि कमल
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