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प्राभृत २० सूत्र १०८
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सूर्यप्रज्ञप्ति-सूची घ- स्वयम्भूरमण पर्यन्त चन्द्रादि
बीसवाँ प्राभूत १०४ क- चन्द्रादि का स्वरूप अन्य दो प्रतिपत्तियाँ
ख- स्वमत प्रतिपादन क- राहु का वर्णन अन्य दो प्रतिपत्तियाँ ख- स्वमत का विस्तार से कथन ग- दो प्रकार के राहू
घ- राहु का जघन्य-उत्कृष्ट काल १०६ क- चन्द्र को शशि कहने का हेतु
ख- सूर्य को आदित्य कहने का हेतु १०७ क- चन्द्र की अग्रमहीषियाँ आदि सूत्र-६७ के समान
ख- सूर्य की अग्रमहीषियाँ आदि सूत्र-६७ के समान
ग- चन्द्र-सूर्य के काम भोगों की मानव भोगों से तुलना १०८ क- अस्सी ग्रहों के नाम
ख- उपसंहार ग- चन्द्र-सूर्य प्रज्ञप्ति के पात्र-अपात्र घ- वीर वंदना
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