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दशवेकालिक सूची
१-३
४
५
६
७
गाथा
६-७
२-४
विनय-समाधि अध्ययन
चतुर्थ उद्देशक
समाधि के प्रकार
विनय-समाधि के चार प्रकार
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श्रुत
तप
आचार
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समाधि - चतुष्टय की आराधना और उसका फल
सभिक्षु (भिक्षु कौन ? भिक्षु के लक्षण और उसकी अर्हता का उपदेश )
१ चित्त-समाधि, स्त्री - मुक्तता और वान्त भोग का अनासेवन जीव - हिंसा, सचित्त व औद्देशिक आहार और पचन- पाचन का परित्याग
५ श्रद्धा, आत्मोपम्यबुद्धि, महाव्रत- स्पर्श और आश्रव का संवरण ६ कषाय- त्याग ध्रुव-योगिता, अकिंचनता और गृहि-योग का परिवर्जन.
अ० १० गाथा १४
७ सम्यग्दृष्टि, अमूढता, तपस्विता और प्रवृत्ति-शोधन सन्निधि वर्जन
& साधर्मिक- निमंत्रणपूर्वक भोजन और भोजनोत्तर स्वाध्याय - रतता
१० कलह-कारक कथा का वर्जन, प्रशान्त भाव आदि
११ सुख-दुख में समभाव
१२ प्रतिमा स्वीकार, उपसर्गकाल में निर्भयता और शरीर की
अनाशक्ति
१३ देह विसर्जन, सहिष्णुता और अनिदानता
१४ परीषह - विजय और श्रामण्य-रतता
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