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उत्तराध्ययन सूची
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२०-२३
२४-२५ २६-२८
बहुश्रुत को
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की उपमा
इन्द्र
दिवाकर की
चन्द्र की
कोष्ठागार की
सुदर्शन जंबू की शीता नदी की
मेरू को
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स्वयम्भूरमण समुद्र की
क- बहुश्रुत को समुद्र की उपमा ख- बहुश्रुत को उत्तम गति प्राप्ति
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अ० १२ गाथा २८
उपसंहार - श्रुत के अध्ययन से शिवपद बारह वाँ हरिकेशी अध्ययन
श्वपाक कुलोत्पन्न हरिकेशी श्रमण हरिकेशी का भिक्षार्थ ब्रह्म यज्ञ में गमन ब्राह्मणों द्वारा हरिकेशी का उपहास और अनादर श्रमणचर्या के सम्बन्ध में तिन्दुक यक्ष का कथन ब्राह्मणों का भिक्षा न देने का निश्चय
तिन्दुक यक्ष द्वारा पुण्यक्षेत्र का प्रतिपादन तिन्दुक यक्ष द्वारा पापक्षेत्र का प्रतिपादन
ब्राह्मणों द्वारा भिक्षा न देने के निश्चय का दुहराना भिक्षा न देने पर यज्ञ की असफलता के सम्बन्ध में तिन्दुक यक्ष का उद्घोष
ब्रह्म कुमारों द्वारा मुनिपर प्रहार
क्रुद्ध ब्रह्म कुमारों को कौशल राज कन्या भद्रा का निवेदन
तिन्दुक यक्ष द्वारा ब्रह्म कुमारों की दुर्दशा
भद्रा राजकन्या द्वारा मुनि की तेजोलब्धि का परिचय
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