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पद २० सूत्र १२
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प्रज्ञापना-सूची
विंशतितम अन्तक्रिया-पद
अधिकारों के नाम १ क- जीव अन्तक्रिया करता है, नहीं भी करता है
ख- चौवीस दण्डकों में अन्तक्रिया का कथन ग- प्रत्येक दण्डक की प्रत्येक दण्डक में अन्तक्रिया २ चौवीस दण्डक में अनन्तरागत या परम्परागत की अन्तक्रिया
चौवीस दण्डग में अनन्तरागतों की एक समय में जघन्य उत्कृष्प
अन्तक्रिया । ४-११ क चौवीस दण्डक में उद्वर्तन, अनन्तर, उत्पत्ति
ख- केवलि प्रज्ञप्त धर्म का श्रवण ग- बोधि, श्रद्धा, प्रतीति, रुचि घ- मतिज्ञानादि की प्राप्ति ङ- शीलव्रत, गुणवत, विरमण व्रत की आराधना च- अवधि ज्ञान की प्राप्ति, छ- मुण्डित होना ज- चक्रवति, बलदेव, वासुदेव, माण्डलिक, चक्ररत्नादि में उत्पत्ति
झ- तीर्थंकर पद की प्राप्ति का कथन १२ क- असंयत भव्य द्रव्य देव
ख- अविराधित संयम वाले ग- विराधित संयमवाले, घ- अविराधित-देश विरतिवाले ङ- विराधित-देश विरतिवाले च- असंजी छ- तापस ज- कांदपिक झ- चरकादिक परिव्राजक
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