SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 604
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सूत्र ४८-५२ ५७६ जीवाभिगम-सूची थ- भवनवासिनी देवियों की जघन्य उत्कृष्ट स्थिति द- व्यन्तर देवियों की घ- ज्योतिष्क देवियों की न- चन्द्र विमानवासिनी देवियों की सूर्य विमानवासिनी देवियों की ग्रह , , नक्षत्र , तारा . प- विमानवासिनी देवियों की सौधर्म , , ईशान , , ४८ क- स्त्री संस्थिति काल की पांच विवक्षा ख- तिर्यंचयोनिक स्त्रियों का संस्थिति काल ग- मनुष्ययोनिक स्त्रियों का संस्थिति काल घ- देवियों का संस्थिति काल ४६ क- स्त्री पर्याय से पुनः स्त्री पर्याय के प्राप्त होने का जघन्योत्कृष्ट अंतर काल ख- तिर्यंच स्त्री से पुनः तिर्यंच स्त्री होने का जघन्योत्कृष्ट अंतर काल ग- मनुष्य स्त्री से पुन: मनुष्य स्त्री होने का , घ- देव स्त्री से पुन: देव स्त्री होने का ५० तिर्यंच मनुष्य और देव स्त्रियों का अल्प-बहत्व ५१ क- स्त्री वेदनीय कर्म की जघन्योत्कृष्ट बन्ध स्थिति ख- स्त्री वेदनीय कर्म का अबाधा काल ग- स्त्री वेदनीय कर्म का पुरुष ५२ क. पुरुष तीन प्रकार के ख- तिर्यंच योनिक पुरुष Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy