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सूत्र १५७-१५६
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जीवाभिगम-सूची
ग- पातालकलशों में जीवों और पुद्गलों का चयापचाय. घ. पातालकलशों के तीन भाग ङ- प्रत्येक भाग में वायु और पानी च- अनेक क्षुद्र पातालकलशों के मूल, मध्य ओर उपरिभाग का
परिमाण छ- क्षुद्र पातालकलशों में जीवों और पुदगलों का चयापचय ज- प्रत्येक पातालकलश में एक देव, देव की स्थिति झ- प्रत्येक पातालकलश के तीनों भाग में वायु, पानी का अस्तित्व ब- सर्व पातालकलशों की संख्या ट- पातालकलशों में वायु-पानी का घट्टन, स्पंदन, वेलावृद्धि का
कारण १५७ तीसमुहूर्त में लवण समुद्र की वेला-वृद्धि व वेला-हानि १५८ क- लवण शिखा की वृद्धि-हानि का परिमाण
ख- लवणसमुद्र की बाह्याभ्यन्तर वेला वृद्धि को रोकने वाले
नागदेवों की संख्या १५६ क- चार वेलंधर नागराज
ख- नागराजों के आवास पर्वत ग- गोस्थूभ वेलंघर नागराज का गोस्तूभ आवास का पर्वत का
स्थान, मूल, मध्य और उपरिभाग का परिमाण, पद्मवर
वेदिका, वनखण्ड घ. प्रासादावतंसक का परिमाण ङ- गोस्तूभ नाम का हेतु, गोस्तुभ देव, स्थिति, देवपरिवार,
गौस्तुभा राजधानी का परिमाण च- शिवक वेलंघर नागराज के दकभास आवास पर्वत की
ऊंचाई आदि झ- शंखदेव, शंखा राजधानी
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