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जीवाभिगम-सूची
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सूत्र १५३-१५६. थ- अनाधृता राजधानी का स्थान आदि द- जम्बूद्वीप नाम की नित्यता क- जम्बूद्वीप में चन्द्र संख्या ख- " सर्य
नक्षत्र महाग्रह " नारागण
लवणसमुद्र वर्णन क- लवण समुद्र का संस्थान
का चक्रवाल-विष्कम्भ की परिधि
की पद्मवर वेदिका की ऊँचाई और वनखण्ड " के द्वार, द्वारों का अन्तर लवण समुद्र और धातकीखण्ड का परस्पर स्पर्श लवण समुद्र के जीवों की धातकीखण्ड में और धातकी खण्ड
के जीवों की लवण समुद्र में उत्पत्ति. ज- लवण समुद्र नाम होने का हेतु झ- लवणाधिपति सुस्थित देव की स्थिति
अ- लवण समुद्र की नित्यता १५५ क- लवण समुद्र में चन्द्र संख्या
सूर्य "
नक्षत्र
"
महाग्रह"
तारा " १५६ क. अष्टमी आदि तिथियों में लवण ससुद्र की वेला वृद्धि ख. लवण समुद्र में चार पाताल कलश पाताल कलशों के मूल, मध्य
और उपरिभाग का विष्कम्भ
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