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जीवाभिगम-सूची
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ख- यमक पर्वतों पर प्रासाद और प्रासादों की ऊँचाई
ग- यमक नाम होने का हेतु दो यमक देव, उनकी स्थिति, उनका
देव परिवार
घ- यमक पर्वतों की नित्यता सिद्धि
ङ - यमका राजधानियों का स्थान
१४६ क- उत्तरकुरु में नीलवन्तद्रह का स्थान, आयाम-विष्कम्भ और
उद्वेध
ख- पद्म का आयाम, विष्कम्भ, परिधि, बाहल्य, ऊंचाई और सर्वोपरिभाग.
ग- पद्मकणिका का आयाम - विष्कम्भ परिधि और बाहल्य
घ- भवन का आयाम - विष्कम्भ और ऊँचाई
ङ - भवन के द्वारों की ऊँचाई और विष्कम्भ
च - मणिपीठिका का आयाम विष्कम्भ और बाहल्य छ- देवशयनीय वर्णन.
- एक सो आठ कमलों की ऊँचाई आदि
- कणिकाओं का आयाम - विष्कम्भ
ञ - पद्म का परिवार. सर्व पद्मों की संख्या
ट - नीलवंतद्रह नाम होने का हेतु
सूत्र १४६-१५१
१५० क - कंचनग पवर्ती का स्थान
ख़
की ऊँचाई, उद्बोध, मूल, मध्य और सर्वोपरि भाग का विष्कम्भ
ग- प्रासादों की ऊँचाई, विष्कम्भ
घ- कंचनग पर्वत नाम होने का हेतु ङ - कंचनग देव, कंचनगा राजधानी
च - उत्तरकुरुद्रह का स्थान आदि
छ- चन्द्र द्रह, एरावण द्रह, माल्यवन्त द्रह १५१ क- पीठ का स्थान
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