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-सूत्र १४२-१४८
घ- चैत्य स्तूप का प्रमार्जन
ङ - जिनप्रतिमा व जिन सक्थियों की अर्चापूजा
१४३ क- जंबूद्वीप के
ख
ग
च - विजयदेव का सुधर्मा सभा में आगमन, सिंहासन पर पूर्वा
भिमुख आसीन होना,
१४२ क- विजयदेव के समस्त परिवार का यथाक्रम से बैठना
ख- विजयदेव की स्थिति
ग- विजय देव के सामानिक देवों की स्थिति.
विजयंत द्वार का वर्णन जयंत द्वार का वर्णन
अपराजित द्वार का वर्णन
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जीवाभिगम सूची
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१४४ जंबूद्वीप के एक द्वार से दूसरे द्वार का अन्तर
१४५ क- जंबूद्वीप से लवण समुद्र का और लवण समुद्र से जंबूद्वीप का
स्पर्श
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ख- जंबूद्वीप के जीवों की लवण समुद्र में और लवण समुद्र के जीवों की जम्बूद्वीप में उत्पत्ति. उत्तरकुरुक्षेत्र वर्णन
१४६ क- जंबूद्वीप में उत्तर कुरुक्षेत्र का स्थान ख- उत्तर कुरुक्षेत्र का संस्थान और विष्कम्भ
ग- जीवा और वक्षस्कार पर्वत का स्पर्श
घ- धनुपृष्ठ की परिधि
ङ
उत्तरकुरुक्षेत्र के मनुष्यों की ऊँचाई, पसलियां, आहारेच्छा काल, स्थिति और शिशुपालन काल.
च- उत्तरकुरुक्षेत्र में छ प्रकार के मनुष्य उत्तरकुरु में दो यमक पर्वत
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१४८ क- यमक पर्वतों का स्थान, ऊँचाई, उद्वेध, मूल, मध्य और उपरिभाग का आयाम, विष्कम्भ, परिधि.
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