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सूत्र ६६-१०३
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जीवाभिगम-सूची
ग- वल्लरियां चार प्रकार की घ- लतायें आठ प्रकार की ङ- हरितकाय तीन प्रकार की
च. त्रस-स्थावर जीवों की कुल कोटियां ६६ क- स्वस्तिकादि विमानों की महानता
ख- अर्ची आदि विमानों की , ग- विजयादि विमानों की ,
द्वितीय तिर्यंच योनिक जीव उद्देशक १०० क- संसार स्थित जीव ६ प्रकार के
ख- पृथ्वीकायिक-यावत्-वनस्पतिकायिक जीव दो दो प्रकार के
ग- त्रसकायिक जीव चार प्रकार के १०१ क- पृथ्वीयाँ ६ प्रकार की
ख- श्लक्ष्ण पृथ्वीयों की जघन्योत्कृष्ट स्थिति ग- शुद्ध घ- बालुका ङ- मनः शिला , छ- शर्करा , च- खरा ज- नैरयिक-यावत्-सर्वार्थ सिद्ध देवों की स्थिति झ- जीव का संस्थितिकाल
अ- पृथ्वीकाय-यावत्-त्रसकाय का संस्थिति काल १०२ क- प्रत्युत्पन्न पृथ्वीकायिक-यावत्-प्रत्युत्पन्न त्रसकायिक जीवों
का जघन्योत्कृष्ट निर्लेप काल ख- जघन्य उत्कृष्ट निर्लेप का अन्तर १०३ क- कृष्णलेश्या आदि तीन लेश्यावाले अनगार का देव-देवियों को
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