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श्रु० २ व०२अ० १
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ज्ञाता०-सूची
ढाई
ण - चमरचंचा राजधानी के कालावंतसक भवन में उपपात. महाविदेह से शिवपद की प्राप्ति ।
पल्य की स्थिति. च्यवन उपसंहार
द्वितीय राजी अध्ययन
१४६ क- उत्थानिका
ख- राजगृह. गुणशील चैत्य भ० महावीर का समवसरण प्रवचन ग- चमर अग्र महिषी राजी देवी का आगमन, वंदन, नृत्य दर्शन
गमन
घ- भ० गौतम द्वारा पूर्वभव पृच्छा. आमलकप्पा नगरी. अंबशाल वन चैत्य. जितशत्रु राजा
ङ - राजी गाथापति, राजश्री भार्या. राजी पुत्री
च - भ० पार्श्वनाथ का समवसरण राजी की प्रव्रज्या - यावत्- शिव-पद की प्राप्ति । उपसंहार
तृतीय रजनी अध्ययन छ- उत्थानिका शेष पूर्व अध्ययन के समान
ज - उत्थानिका
झ - उत्थानिका - शेष पूर्व अध्ययन के समान । उपसंहार द्वितीय बलेन्द्र अग्रमहिषी वर्ग
१५० क उत्थानिका
चतुर्थ विद्युत अध्ययन
- शेष पूर्व अध्ययन के समान
पंचम मेघा अध्ययन
प्रथम शुंभा अध्ययन
ख- उत्थानिका— राजगृह गुणशील चैत्य भ० महावीर का समव-सरण प्रवचन बलेन्द्र अग्रमहिषी शुंभादेवी का वंदन नृत्य दर्शन
गमन
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