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विपाक-सूची
श्रु०१ अ०७ सिद्धार्थ राजा. सागरदत्त सार्थवाह. गंगदत्ता भार्या. उंबरदत्त ख- पुत्र भ० महावीर का समवसरण, गौतम गणधर का भिक्षाचर्या
के लिये नगर के पूर्व द्वार से प्रवेश ग- एक कोढ़ी पुरुष को देखना घ- पश्चिम दक्षिण और उत्तर द्वार से क्रमशः प्रवेश करने पर उसी
कोढी पुरुष को देखना ङ- पूर्वभव पृच्छा, जम्बूद्वीप, भरत, विजयपुर नगर, कनकरथ
राजा, धनवन्तरी वैद्य च- अष्टांग आयुर्वेद के नाम छ- चिकित्सा के लिये अनेक प्रकार के मांसों का प्रयोग ज- स्वयं धनवन्तरी द्वारा मद्य मांस आहार का आसक्ति पूर्वक
प्रयोग, पूर्णायु, मृत्यु, नरक गमन झ- संतान प्राप्ति के लिये मृतवत्सा गंगदत्ता सार्थवाहिनी द्वारा
यक्ष पूजा, तथा चढावा करने का संकल्प अ- सार्थवाह की आज्ञा से विधिवत यक्ष पूजा करना ट- धनवन्तरी की आत्मा का सार्थवाही की कृक्षि में आगमन ठ- सार्थवाही का दोहद और उसकी पूर्ति ड- पुत्र जन्म, यक्ष के चढ़ावा, यक्ष कृपा से प्राप्त पुत्र का यक्ष के
अनुसार नाम ढ- सागरदत्त और गंगदत्त की मृत्य. उम्बरदत्त को घर से निकाल
देना उम्बरदत्त के शरीर में सोलह रोगों की उत्पति, सोलह
रोगों के नाम ण- उम्बरदत्त की पूर्णायु, मृत्यु, भवभ्रमण त- हस्तिनापुर में सेठ के घर जन्म, सम्यक्त्व की प्राप्ति, श्रावक
धर्म की अराधना, सौधर्म में उत्पत्ति, च्यवन, महाविदेह से मुक्ति. उपसंहार।
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