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भगवती-सूची
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श०११ उ०१२ प्र०५
११ स्वप्नपाठकों को प्रीतिदान एवं उनका विसर्जन २२ गर्भ रक्षा, पुत्र जन्म
बधाई १४ जन्मोत्सव, नामकरण १५ पंचधाय से पुत्र का पालन १६ महाबल का अध्ययन काल १७-१८ महाबल का आठ कन्याओं के साथ पाणिग्रहण व प्रीतिदान
(दहेज) १६ धर्मघोष अणगार के समीप वाणी श्रवण, वैराग्य, राज्याभिषेक
दीक्षा ग्रहण, तपश्चर्या, संलेखना, ब्रह्मलोक में उत्पत्ति, महाबल देव की स्थिति, सुदर्शन को जातिस्मरण, सुदर्शन की प्रव्रज्या, श्रमण पर्याय, मुक्ति द्वादश आलभिका उद्देशक
सूत्रांक
१ क- पालभिका नगरी, शंखवन चैत्य, ऋषिभद्र प्रमुख श्रमणोपासक
ख- श्रमणोपासकों में परस्पर चर्चा ग- देवताओं की जघन्य स्थिति घ- देवताओं की उत्कृष्ट स्थिति
ङ- ऋषिभद्र के कथनपर श्रमणोपासकों की अश्रद्धा २ क- भ० महावीर का पदार्पण ख- देवताओं की स्थिति के सम्बन्ध में भ० महावीर का समाधान गौतम की जिज्ञासा, ऋषिभद्र प्रव्रज्या स्वीकार करने में असमर्थ
ऋषिभद्र की सौधर्म के अरुणाभ विमान में उत्पत्ति ५ ऋषिभद्र देव का च्यवन, महाविदेह में जन्म और मुक्ति
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