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श० १४ उ०१ प्र०६
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भगवती-सूची अणगार द्वारा समुद्रवायस पक्षी के समान गति का सामर्थ्य १३१ अणगार द्वारा चक्रहस्त पुरुष के समान गति का सामर्थ्य १३२ अणगार द्वारा रत्नहस्त पुरुष के समान गति का सामर्थ्य १३३ अणगार द्वारा विस भंजिका गति का सामर्थ्य
अणगार द्वारा मृणाल भंजिका गति का सामर्थ्य अणगार द्वारा वनखंड के रूप में गमन करने का सामर्थ्य अणगार द्वारा पुष्करणी रूप में गमन करने का सामर्थ्य
अणगार द्वारा पुष्करणी रूप विकुर्वणा सामर्थ्य १३८ माया सहित-अणगार की विकुर्वणा-यावत्-आराधना
दशम समुद्घात उद्देशक १३६ छह छानस्थिक समुद्घात
चौदहवाँ शतक प्रथम चरम उद्देशक भावित आत्मा अनगार जिस लेश्या में मृत्यु को प्राप्त होता है उसी लेश्यावाले देवावास में उत्पन्न होता है भावित आत्मा अणगार की असुरकुमारावास-यावत्-वैमानिकावासपर्यन्त प्रश्नांक एक के समान
विग्रहगति ३ क- नैरयिक-यावत्-वैमानिक की उत्कृष्ट तीन समय की विग्रहगति
ख- एकेन्द्रियों की चार समय की विग्रह गति ग- तरुण पुरुष की मुष्टि का उदाहरण
श्रायुबंध
चौवीस दण्डक में अनन्तरोपपन्नक तथा परंपरोपपन्नक ५ अनन्तरोपपन्नक प्रथम नैरयिकों के आयु-बंध का निषेध ६ परपरोपपन्नक नैरयिक के आयु-बंध
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