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श०१६ उ०५ प्र०४८
भगवती-सूची
पंचम गंगदत्त उद्देशक ३८ क- उल्लुक तीर नगर-एक जम्बूक चैत्य में भ० महावीर पधारे
शक्रेन्द्र का आगमन ख- बाह्यपुद्गल ग्रहण किये बिना देव का आगमन असम्भव ग- १ गमन २ भाषण ३ उत्तरदान ४ पलक झपकना ५ शरीर
के अवयवों का संकोच-विकास ६ स्थान शय्या निषद्याभोग
७ विक्रिया ८ परिचारणा का न होना ३६ क- शक्र का उत्सुकतापुर्वक नमन ख- महाशुक्रकल्प में सम्यग्दृष्टि गंगदत्तदेव की उत्पत्ति और
उसका मिथ्यादृष्टि देव के साथ वाद ग- वाद का विषय-परिणामप्राप्त पुद्गल परिणत या अपरिणत
घ- गंगदत्तदेव का भ० महावीर के समीप आगमन ४० गंगदत्त देव का भ० महावीर से प्रश्न ४१ क- गंगदत्त देव की जिज्ञासा में भवसिद्धिक हूँ या अभव सिद्धिक
ख- भ० महावीर के सम्मुख गंगदत्त देव का नाटयप्रदर्शन
ग- गंगदत्त देव का स्वस्थान गमन ४२ गंगदत्त देव की दिव्य ऋद्धि के सम्बन्ध में कूटागार शाला
का दृष्टान्त ४३ दिव्य ऋद्धि प्राप्त होने का कारण ४४ क- जम्बूद्वीप, भरत, हस्तिनापुर, सहस्राम्रवन
ख- गंगदत्त गृहपति ग- भ० मुनिसुव्रत का पदार्पण घ- गंगदत्त का दर्शनार्थ गमन
गंगदत्त को प्रतिबोध ४६ गंगदत्त की दीक्षा और अन्तिम आराधना
गंगदत्त देव की स्थिति गंगदत्त देव' का च्यवन महाविदेह में जन्म और निर्वाण
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