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श०१८ उ०२-३ प्र०१०
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भगवती-सूची
१३ शरीर १४ पर्याप्त उक्त द्वारों में एक वचन बहु वचन की अपेक्षा चौवीस दण्डकों में चरमाचरम की विचारणा
सूत्रांक द्वितीय विशाखा उद्देशक १ विशाखा नगरी, बहुपुत्रिक चैत्य, भ० महावीर का पदार्पण,
शकेन्द्र का आगमन नाट्य प्रदर्शन २ क- भ० गौतम को शकेन्द्र की ऋद्धि तथा पूर्वभव की जिज्ञासा
ख- भ० महावीर द्वारा समाधान ३ क- हस्तिनागपुर, सहस्राम्रवन, कार्तिक सेठ, एक हजार आठ व्या
पारियों में प्रमुख ख- भ० मुनि सुव्रत का पदार्पण ४ कार्तिक शेठ का धर्मश्रवण और वैराग्य ५-७ एक हजार आठ वणिकों के साथ कार्तिक शेठ का प्रव्रज्या ग्रहण
चौदहपूर्व, का अध्ययन, तपश्चर्या, अन्तिम आराधना, शकेन्द्र रूप में उत्पन्न होना, पश्चात् महाविदेह में जन्म और निर्वाण
तृतीय माकंदिपुत्र उद्देशक ८ क- राजगृह, गुणशील चैत्य, म० महावीर से माकंदीपुत्र अनगार
के प्रश्न ख- कापोत लेश्या वाले पृथ्वीकायिक जीव का मनुष्यभव प्राप्त
___ करके मुक्त होना ६-१० क- कापोत लेश्यावाले अप्कायिक और वनस्पतिकायिक जीव का
___ मनुष्यभव प्राप्त करके मुक्त होना ख- भ० महावीर के प्राप्त समाधान के सम्बन्ध में माकंदीपुत्र
की स्थविरों से वार्ता ग- भ० महावीर के समीप समाधान के लिये स्थविरों का आगमन घ- माकंदीपुत्र से स्थविरों का क्षमा याचन .
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