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भगवती-सूची
३६६ श० २५ उ०१-२ प्र० १६
पच्चीसवाँ शतक प्रथम लेश्या उद्देशक सोलह प्रकार की लेश्या चौदह प्रकार के संसारी जीव संसारी जीवों के योगों का अल्प-बहत्व चौवीस दण्डक में एक समय में उत्पन्न दो जीवों के योगों का अल्प-बहुत्व पन्द्रह प्रकार के योग योगों का अल्प-बहुत्व द्वितीय द्रव्य उद्देशक दो प्रकार के द्रव्य
दो प्रकार के अजीव द्रव्य ३ क- जीव द्रव्य की संख्या
ख- जीव द्रव्य के अनन्त होने के कारण ४ जीव द्वारा अजीव द्रव्यों का परिभोग ५ चौबीस दण्डक में अजीव द्रव्यों का परिभोग
असंख्य प्रदेशात्मक लोकाकाश में अनन्त द्रव्यों की स्थिति '७-८ एक आकाश प्रदेश में पुद्गलों का चयापचय ६ औदारिक शरीर रूप में स्थित अस्थित द्रव्यों का ग्रहण १० द्रव्य क्षेत्र काल और भाव से द्रव्य का ग्रहण ११ वैक्रिय शरीर रूप में स्थित, अस्थित द्रव्यों का ग्रहण १२ तैजस शरीर रूप में स्थित, अस्थित द्रव्यों का ग्रहण १३ द्रव्य क्षेत्र काल और भाव से द्रव्यों का ग्रहण १४ छ दिशाओं से पुद्गलों का ग्रहण
चौवीस दण्डक में पांच इंद्रियों के रूप में यथायोग्य द्रव्यों का
ग्रहण १६ चौवीस दण्डक में श्वासोच्छ्वास के रूप में द्रव्यों का ग्रहण
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