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श्रु० १ अ०१५
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ज्ञाता०-सूची
एक मास की संलेखना देवलोक में
का श्रमण - जीवन.
उपपात
१०१ क- कनकरथ राजा की मृत्यु
ख- कनकध्वज का राज्याभिषेक. तेतली पुत्र के सन्मान की वृद्धि १०२ क- पोट्टिलदेव का तेतलीपुत्र को प्रतिबोध देना
ख- कनकध्वज राजा का तेतली पुत्र से विमुख होना
ग- तेलीपुत्र के गृह में तेतली का अनादर
घ - विष, असि, फांसी, पानी, अग्नि से आत्महत्या के लिये तेतली पुत्र के प्रयत्न
ङ. प्रव्रज्या के लिये पोट्टिल देव की प्रेरणा
१०३ क - तेतली पुत्र को जातिस्मरण
,
ख- पूर्वभव का वर्णन, जम्बूद्वीप, महाविदेह, पुष्कलावती बिजय, पुण्डरीकणी राजधानी, महापद्म राजा स्थविरों के पास प्रव्रज्या, चौदह पूर्व का ज्ञान, अन्तिम आराधना, महाशुक्रकल्प में उत्पन्न. च्यवन. तेतलीपुत्र रूप में उत्पन्न
ग- तेतली पुत्र की प्रव्रज्या. चौदह पूर्व का ज्ञान. केवल ज्ञान १०४ क- केवलज्ञान का महोत्सव
ख- तेलीपुत्र मुनि की वंदना के लिए कनक ध्वज राजा का जाना, धर्म श्रवण करना. व्रत धारणा
ग- तेतली का केवल ज्ञान सम्पन्न जीवन. सिद्धपद
पंचदशम नंदीफल अध्ययन
अज्ञात फल के खाने का निषेध
१०५ क- उत्थानिका - चंपानगरी, पूर्णभद्र चैत्य, जितशत्रु राजा, धन्ना
सार्थवाह
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ख- अहिछत्रा नगरी. कनक केतु राजा
ग- धन्ना सार्थवाह का व्यापार के लिये अहिछत्रा जाने का संकल्प
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