SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 479
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रु० १ अ०१५ ४५१ ज्ञाता०-सूची एक मास की संलेखना देवलोक में का श्रमण - जीवन. उपपात १०१ क- कनकरथ राजा की मृत्यु ख- कनकध्वज का राज्याभिषेक. तेतली पुत्र के सन्मान की वृद्धि १०२ क- पोट्टिलदेव का तेतलीपुत्र को प्रतिबोध देना ख- कनकध्वज राजा का तेतली पुत्र से विमुख होना ग- तेलीपुत्र के गृह में तेतली का अनादर घ - विष, असि, फांसी, पानी, अग्नि से आत्महत्या के लिये तेतली पुत्र के प्रयत्न ङ. प्रव्रज्या के लिये पोट्टिल देव की प्रेरणा १०३ क - तेतली पुत्र को जातिस्मरण , ख- पूर्वभव का वर्णन, जम्बूद्वीप, महाविदेह, पुष्कलावती बिजय, पुण्डरीकणी राजधानी, महापद्म राजा स्थविरों के पास प्रव्रज्या, चौदह पूर्व का ज्ञान, अन्तिम आराधना, महाशुक्रकल्प में उत्पन्न. च्यवन. तेतलीपुत्र रूप में उत्पन्न ग- तेतली पुत्र की प्रव्रज्या. चौदह पूर्व का ज्ञान. केवल ज्ञान १०४ क- केवलज्ञान का महोत्सव ख- तेलीपुत्र मुनि की वंदना के लिए कनक ध्वज राजा का जाना, धर्म श्रवण करना. व्रत धारणा ग- तेतली का केवल ज्ञान सम्पन्न जीवन. सिद्धपद पंचदशम नंदीफल अध्ययन अज्ञात फल के खाने का निषेध १०५ क- उत्थानिका - चंपानगरी, पूर्णभद्र चैत्य, जितशत्रु राजा, धन्ना सार्थवाह Jain Education International ख- अहिछत्रा नगरी. कनक केतु राजा ग- धन्ना सार्थवाह का व्यापार के लिये अहिछत्रा जाने का संकल्प For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy