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________________ ज्ञाता०-सूची . ४५२ श्रु०१ अ०१६ घ- अहिछत्रा के मार्ग में नंदीफल खाने वाले साथियों की मृत्यु न खाने वालों का बचाव ङ- निग्रंथ निग्रंथियों को भ० महावीर की शिक्षा च- अहिछत्रा के महाराज कनक केतु को बहुमूल्य पदार्थों की भेंट. कर से मुक्ति छ- चंपानगरी में धन्ना सार्थवाह का आगमन ज- स्थविरों का आगमन, धन्ना का धर्मश्रवण. ज्येष्ठ पुत्र को गृह भार सौंपना, प्रव्रज्या, ग्यारह अंगों का अध्ययन, अनेक वर्षों का श्रमण जीवन, एक मास की संलेखना, देवलोक में उपपात. च्यवन, महाविदेह में जन्म और निर्वाण । उपसंहार षोडशम अपरकंका अध्ययन फलेच्छा का निषेध १०६ क- उत्थानिका-चंपानगरी, सुभूमिभाग उद्यान ख- तीन ब्राह्मण और उनकी तीन भार्याएं ग- नागश्रिी ने तिक्त अलाबु का शाक बनाया. परीक्षा के पश्चात् एकान्त में रख दिया। घ- मधुर अलाबु का और शाक बनाया ०७ क- धर्मघोष स्थविर का आगमन ख- धर्ममचि अणगार का भिक्षार्थ गमन ग- नागश्री का कटुक अलाबु व्यञ्जन देना घ- अलाबु व्यंजन आचार्य को दिखाना. व्यञ्जन परीक्षा. खाने का निषेध ङ- अलाबु व्यंजन डालने के लिए धर्म रुचि का श्मसान भूमि में जाना च- कीडियों को हिंसा देख कर अलाबु व्यंजन स्वयं खा लेना धर्मरुची की मृत्यु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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