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श्रु०१ अ०१६
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ज्ञाता०-सूची छ- धर्मरुची की शोध . झ- धर्मरुची का सर्वार्थ सिद्ध में उपपात, च्यवन, महाविदेह में
जन्म और निर्वाण नागश्री की निन्दा. गृह से निष्कासन. सोलह रोगों की
उत्पत्ति. मृत्यु. नरक गति. भव भ्रमण १०६
चंपा नगरी. सागरदत्त सार्थवाह. भद्राभार्या. नागश्री की
आत्मा का सुकुमालिका के रूप में जन्म ११० क- चंपा नगरी. जिनदत्त सार्थवाह. सागर पुत्र
ख- सागर पुत्र का सुकुमालिका से विवाह १११ सुकुमालिका के अनिष्ट स्पर्श से सागर का स्वगृह गमन ११२ क- भिखारी को सुकुमालिका सोंपदेना
ख- अनिष्ट स्पर्श से भिखारी का पलायन ११३ क- सुकुमालिका की दान में अभिरुचि ख- गोपालिका आर्या का आगमन. सुकुमालिका का धर्म श्रवण
प्रव्रज्या. अध्ययन. ग्राम के बाहर आतापना लेना ग- गोपालिका आर्या की आताप लेने के लिए निषेधाज्ञा
सुकुमालिका का न मानना ११४ क- चम्पा नगरी में ललिता गोष्ठी, देवदत्ता गणिका के साथ
गोष्ठी पुरुषों की भोग लीला, सुकुमालिका आर्या का निदान
करना ११५ क- सुकुमालिका का शरीर-बकुषा होना
ख- उपाश्रय से निष्कासन. पार्ववर्ति उपाश्रय में निवास ग- अनेक वर्षों का श्रामण्य पर्याय. पन्द्रह दिन की संलेखना. अकृत्य
स्थान की आलोचना न करना घ- मृत्यु. ईशान कल्प में देवगणिका होना. नव पल्य की स्थिति
द्रौपदी कथा ११६ जम्बूद्वीप भरत. पांचाल जनपद. कंपिलपुर. द्रुपद राजा. चुलनी
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