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________________ ४५४ ज्ञाता०-सूची श्रु०१ अ०१६ रानी. युवराज घृष्टद्युम्न कुमार. सुकुमालिका की आत्मा का द्रौपदी के रूप में जन्म. स्वयंवर रचना प्रमुख पुरुषों को निमन्त्रण ११७ प्रथम दूत को द्वारावति भेजना द्वितीय दूत को हस्तिनापुर भेजना तृतीय दूत को चम्पानगरी भेजना चतुर्थ दूत , शक्तिमति नगरी भेजना पंचम दूत , हस्तिशीर्ष नगर भेजना षष्ठ दूत , मथुरा नगरी भेजना सप्तम दूत ,, राजगृह नगर भेजना अधम दूत , कौडिन्य नगर भेजना नवम दूत , विराट नगर भेजना दशम दूत ,. शेष नगरों में " ११८ क- गंगा महानदी के समीप स्वयंवर मण्डप की रचना ख- स्वयंवर मण्डप में सभी राजाओं का आगमन ११६ द्रौपदी का स्वयंवर मण्डप में प्रवेश १२० पांच पाण्डवों का वरण, आठ हिरण्य कोटि आदि तथा आठ दासियाँ दहेज में मिलना १२१ क- पांडु राजा, पांच पाण्डव और द्रौपदी आदि का हस्तिनापुर आना ख- वासुदेव द्वारा नारद का सन्मान व विसर्जन १२२ क- कच्छुल्ल नारद का हस्तिनापुर आगमन. पाण्डुराजा आदि के द्वारा नारद जी का आदर सन्मान ख- द्रौपदी द्वारा नारद का अनादर १२३ क- नारद का द्रौपदी से बदला लेने का संकल्प ख- धातकीखण्ड द्वीप. अमरकंका राजधानी. पद्मनाभ राजा. सात सो रानियों का अन्तःपुर. युवराज सुनाभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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