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ज्ञाता०-सूची
श्रु०१ अ०१४ झ- वैभारगिरि की तलहटी में नंदा पुष्करिणी तथा चार वन १. पश्चिम दिशा के वनखण्ड में चित्रसभा का निर्माण २. दक्षिण दिशा के वनखण्ड में भोजनशाला ,, , ३. पूर्व दिशा के वनखण्ड में चिकित्साशाला ,, , ४. उत्तर दिशा के वनखण्ड में अलंकार सभा ,, ,, १४ क- नंद मणिकार के शरीर में सोलह रोगों की उत्पत्ति. सोलह
रोगों के नाम ख. नंद की मृत्यु. नंदा पुष्करिणी में दर्दु ररूप में जन्म ग- नंद की प्रशंसा सुनने पर दर्दुर को पूर्वजन्म की स्मृति. धर्मा
राधन. तपश्चर्या ६५ क- भ० महावीर का समवसरण. भगवान की वंदना के लिए जाते
समय दर्दुर का अश्व के पैर से घायल होना ख- दर्दुर की अन्तिम आराधना, सौधर्म कल्प में उपपात, चारपल्य
की स्थिति, महाविदेह में जन्म और निर्वाण
चतुर्दशम तेतलीपुत्र अध्ययन ६६ क- उत्थानिका-तेतलीपुर, प्रमदवन, कनकरथ राजा, पद्मावती देवी
तेतली पुत्र अमात्य, कलाद स्वर्णकार, भद्रा भार्या, पोट्टिला
पुत्री ख- तेतली पुत्र का पोट्टिला से विवाह ९७ क- कनकरथ राजा का पुत्रों को अंगविकल करना ख- तेतली पुत्र द्वारा पोट्टिला और पद्मावती की संततियों में
परिवर्तन तेतली पुत्र का पोट्टिला से रुष्ट होना. पौट्टिला की दानदेने में अभिरुची सुव्रता आर्या का आगमन. वशीकरण के लिए पोट्टिला की
पृच्छा. सुव्रता का उपदेश. पोट्टिला का श्रमणोपासिका होना १०० क- पोट्टिला की प्रव्रज्या, ग्यारह अंगों का अध्ययन. अनेक वर्षो
हद
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