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स०१२ उ०१-२ प्र०१ ३४४
भगवती-सूची बारहवाँ शतक
प्रथम शंख उद्देशक १ क- सावत्थी नगरी, कोष्ठक चैत्य, शंख प्रमुख श्रमणोपासक, उत्पला
श्रमणोपासिका, पोखली श्रमणोपासक ख- भ० महावीर की धर्मदेशना २ क- श्रमणोपासकों द्वारा पाक्षिक पोषध करने का निर्णय,
चार प्रकार का आहार निष्पन्न हुआ ख- शंख का संकल्प-चारों आहार के त्याग का संकल्प ३-४ पोखली का शंख को भोजन के लिये निमंत्रण ५ पोखली को उत्पला की बंदना ६.८ पोखली को पोषध के संबंध में शंख का निवेदन
६ भ० महावीर की वंदना के लिये पोषधयुक्त शंख का गमन १० अन्य श्रमणोपासकों का भ० महावीर की वंदना के लिये गमन ११ भ० महावीर का शंख की निंदा न करने के लिये आदेश १ क- तीन प्रकार की जागरिका
ख- जागरिका की व्याख्या २ क्रोध से कर्म बंधन ३ मान, माया, और लोभ से कर्म बंधन
शंख से श्रमणोपासकों की क्षमा याचना एवं स्वस्थान गमन गौतम की जिज्ञासा का समाधानशंख प्रव्रज्या स्वीकार करने में समर्थ नहीं है
द्वितीय जयंती उद्देशक सूत्रांक १ क-कोशाम्बी नगरी, चन्द्रावतरण चैत्य
ख- सहस्त्रानीक राजा का पौत्र, शतानीक राजा का पुत्र, चेटकराजा
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