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भगवती-सूची
. ३४१ श०११ उ० १० प्र०६९ भ० महावीर के समीप शिवराजर्षि की दीक्षा तथा अन्तिम साधना वज्रऋषभ नाराच संघयणवाला सिद्ध होता है
दशम लोक उद्देशक ४७ क- राजगृह ___ ख- चार प्रकार का लोक ४८-५० क्षेत्रलोक तीन प्रकार का
५२ अधोलोक का संस्थान ५३ तिर्यग्लोक का संस्थान
उर्ध्वलोक का संस्थान ५५ लोक का संस्थान ५६ अलोक का संस्थान ५७-५८ तीनों लोक जीव, जीव के देश और प्रदेश रूप हैं ५६ सम्पूर्ण लोक जीव, जीव के देश और प्रदेश रूप हैं ६० अलोक जीव, जीव के देश और प्रदेश रूप है ६१-६२ तीन लोक में से प्रत्येक लोक के एक आकाश प्रदेश में जीव,
जीव के देश और प्रदेश हैं सम्पूर्ण लोक का एक आकाश प्रदेश, जीव के देश, जीव के प्रदेश रूप हैं अलोक का प्रत्येक आकाश प्रदेश जीव-अजीव नहीं है
द्रव्य आदि से तीनों लोक, लोक और अलोक का विचार ६६ लोक का विस्तार-चार दिक्कुमारियों का रूपक
अलोक का विस्तार-आठ दिक्कुमारियों का रूपक लोक के एक आकाश प्रदेश में जीव के प्रदेशों का परस्पर
संबंध और एक दूसरे को पीड़ा न पहुँचाना, नर्तकी का रूपक ६६ एक आकाश प्रदेश में रहे हुए जीव प्रदेशों का अल्प-बहुत्व
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