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श०३ उ०५ प्र०१२६
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भगवती-सूची
मेघ बलाहक (मेघ) का स्त्रीरूप में परिणमन बलाहक (मेघ) का स्त्रीरूप में गमन बलाहक (मेघ) का पर ऋद्धि से गमन बलाहक बलाहक ही है बलाहक का यान आदि के रूप में गमन
लेश्या के द्रव्य १००-१०२ चौवीस दण्डकों में लेश्याद्रब्यों के अनुरूप जीवों की उत्पत्ति
अणगार विकुर्वण १०३-१०४ बाह्य पुद्गलों को ग्रहण करके की हुई विकुर्वणा से अणगारका
वैभारगिरि उल्लंघन १०५ क- बाह्य पुद्गलों को गहण करके की हुई विकुर्वणा से अणगार का
वैभारगिरि प्रवेश ख- बाह्य पुद्गलों को ग्रहण करके की हुई विकुर्वणा से अणगार
का वैभारगिरि पर्वत को सम-विषम रूप में परिवर्तन १०६ मायी अणगार ही विकुर्वणा करता है १०७ क- विकुर्वणा के कारण
ख- मायी अनाराधक-अमायी आराधक
पंचम स्त्री उद्देशक १०८-१०६ अणगार की स्त्रीरूप में विकुर्वणा ११० अणगार की वैक्रिय सामर्थ्य १११ अणगार का ढाल-तलवार बांधकर आकाश में गमन ११२ अणगार का वैक्रिय सामर्थ्य ११३-१२४ अणगार की विकुर्वणा के विविधरूप १२५-१२६ मायी और अमायी अणगार की देव गति
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