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भगवती-सूची
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श० ५ उ०३-४ प्र०५७.
लवण समुद्र लवण समुद्र का विष्कम्भ और परिधि
तृतीय जालग्रंथिका उद्देशक ४१ क- अन्य तीथिक --- एक समय में दो आयु का वेदन
जाल ग्रंथिका का उदाहरण ख- भ० महावीर-एक समय में एक आयु का वेदन
शृंखला का उदाहरण ४२-४३ चौवीस दंडक में आयुष्य सहित जीवों का गमन
कर्मानुसार योनि का आयुबंधन चतुर्थ शब्द उद्देशक छद्मस्थ मनुष्य का आतोद्य शब्द सुनना छद्मस्थ मनुष्य का स्पष्ट शब्द सुनना छद्मस्थ मनुष्य का समीपवर्ती शब्द सुनना केवली समीप और दूर दोनों प्रकार का शब्द सुन लेता है छद्मस्थ मनुष्य हंसता है
केवली हँसते नहीं हैं ५२ न हँसने का कारण
उन्नीस दण्डक में हँसने वाले जीव सात-आठ कर्म बांधते हैं ५४ क- छद्मस्थ मनुष्य नींद व ऊंघ लेता है
ख- केवली नींद व ऊंघ नहीं लेते
ग- नींद-ऊंघ न लेने का कारण ५५ उन्नीस दण्डकों में नींद व ऊंघ लेने वाले जीवों के ७-८ कर्म
हरिणगमैषी देव ५६ क- हरिणगमेषी देव द्वारा गर्भ साहरण
ख- गर्भ साहरण की चौभंगी ५७ हरिणगमेषी देव का नखाग्न से गर्भसाहरण सामर्थ्य
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