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भगवती-सूची
महावीर
सभी प्राणी कभी सुख कभी दुःख का वेदन करते हैं सुख-दुःख के वेदन का हेतु
१५३ चौवीस दण्डक के जीव समीपवति पुद्गलों का आहार करते हैं
केवली इन्द्रियों द्वारा नहीं जानता है।
इन्द्रियों द्वारा न जानने का हेतु
३१२
सप्तम सतक
प्रथम आहार उद्देशक
१
उत्थानका
२ क- परभव प्राप्ति के प्रारम्भिक समयों में जीव के आहारक और अनाहारक होने का निर्णय
1
ख- चौवीस दण्डक में जीव के आहारक- अनाहारक होने का वर्णन
३
६-७
जीव के अल्पाहार का प्रथम और अंतिम समय
लोक संस्थान
४ क- लोक का संस्थान
ख- शास्वत लोक में जीव-अजीव के ज्ञाता हैं, केवली हैं, वे सिद्धबुद्ध और मुक्त होते हैं
क्रिया विचार
५ क - श्रमणोपासक की सांपरायिक क्रिया
ख- सांपरायिक क्रिया के हेतु
प्रत्याख्यान
G-E
श०७ उ०१ प्र०११
प्रथम अणुव्रत के अतिचारों की मर्यादा श्रमण को श्राहार देने का फल
श्रमण को आहार देने का श्रमणोपासक को फल कर्म रहित जीव की गति
१०-११ कर्म रहित जीव की गति के छ प्रकार
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