________________
36... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा हृदय, मस्तक, शरीर आदि की शुद्धि एवं सुरक्षा हेतु प्रयुक्त मुद्राएँ 3. हृदय मुद्रा
मानव की शारीरिक संरचना में हृदय चक्र का प्रमुखतम स्थान है। हमारा शरीर विभिन्न प्रकार के तंत्रों द्वारा संचालित होता है, उनमें हृदय तन्त्र एक पम्प के समान कार्य करता है। सम्पूर्ण शरीर में रक्त परिसंचरण सम्बन्धी क्रियाएँ हृदय के द्वारा संचालित होती है। जब तक हृदय क्रियाशील रहता है शरीर के समग्र अवयव सुचारु रूप से कार्य करते हैं। हृदय की धड़कन देखकर ही व्यक्ति के जीवित और मृत होने का निर्णय किया जाता है। हमारे मनोभावों का हृदय पर तुरन्त असर होता है। यदि हम क्रोध से आविष्ट हैं तो हृदय वेग बढ़ जाता है
और जब समत्व की गंगा में नहा रहे होते हैं तो हृदय गति धीमी हो जाती है। इस तरह हृदय तन्त्र और वैचारिक जगत का परस्पर घनिष्ठ सम्बन्ध है।
हृदय मुद्रा