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आचारदिनकर में उल्लिखित मुद्रा विधियों का रहस्यपूर्ण विश्लेषण ...225
शरीर की पीयूष, थायरॉइड एवं पेराथायरॉइड ग्रन्थियों के स्राव नियंत्रण में रहते हैं।
इससे वायु सम्बन्धी और हृदय सम्बन्धी समस्त कष्टों में आराम मिलता है। • आध्यात्मिक दृष्टि से ध्यान के क्षेत्र में प्रगति होती है।
क्रोध, उत्तेजना, आवेश, चिड़चिड़ापन जैसी अशुभ वृत्तियों का शमन होता है।
यह मुद्रा विशुद्धि और आज्ञा चक्र की मूल स्थिति को व्यक्त करने का प्रयत्न करती है। यह आन्तरिक दिव्य ज्ञान को जागृत कर स्मृति को स्थिर करती है। हृदय में पवित्र प्रेम का जागरण करती है। भाव अभिव्यक्ति में भी यह मुद्रा सहायक बनती है। 20. प्रायश्चित्त विशोधिनी मुद्रा
प्रस्तुत मुद्रा अपने नाम के अनुसार पापों का शोधन करती है, चैतन्य जगत को परिशुद्ध करती है, चित्त केन्द्र को निर्मल करती है, इसलिए प्रायश्चित्त विशोधिनी मुद्रा कहलाती है। यह पूर्णत: आध्यात्मिक मुद्रा है।
प्रायश्चित्त विशोधिनी मुद्रा