________________
256... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा
• आकाश एवं वायु तत्व को नियंत्रित करते हुए यह मुद्रा अध्यात्म एवं अनुशासन में वृद्धि करती है।
• पीनियल, पीयूष एवं थायमस ग्रंथि के स्राव को सक्रिय करते हुए यह मुद्रा हमारी जीवन पद्धति को नियंत्रित रखती है तथा दुष्प्रवृत्तियों एवं मानसिक विकारों का निवारण करती है। 16. कल्याणत्रय मुद्रा ___इस मुद्रा के द्वारा त्रिखण्ड का प्रतिबिम्ब दर्शाया जाता है जिसे आत्मा के लिए कल्याणकारी माना है। अत: इसका नाम कल्याण मुद्रा है।
यह मुद्रा त्रिनेत्र चिह्नित नारियल एवं त्रिमुखी रुद्राक्ष की सूचक है। ___ इस मुद्रा को प्रतिष्ठा जैसे मांगलिक प्रसंगों पर करते हैं। यहाँ कल्याणत्रय का सांकेतिक प्रयोजन यह हो सकता है कि प्राणी मात्र के कल्याणकारक तीर्थंकरों को वन्दन एवं स्मरण करने का जो मूलभूत आधार है उसकी प्रतिस्थापना करना। इसका बीज मन्त्र 'ऐ' है।
कल्याणत्रय मुद्रा