Book Title: Jain Mudra Yog Ki Vaigyanik Evam Adhunik Samiksha
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 416
________________ सज्जन हृदय के अमृत स्वर * मुद्रा योग द्वारा कैसे करें सप्त चक्र आदि का जागरण? विधिमार्गप्रपा के अनुसार शरीर एवं वातावरण शुद्धि में कौनसी मुद्राएँ। उपयोगी? * आचार दिनकर में वर्णित मुद्राओं के सांकेतिक एवं प्रायोगिक हेतु क्या है? * मुद्रा विचार में उल्लिखित मुद्राएँसाधना की दृष्टि से कितनी प्रासंगिक? * सप्त चक्र एवं चैतन्य केन्द्र आदि के जागरण में जैन मुद्रा विज्ञान कैसे सहयोगी? * विभिन्न आचार्यों द्वारा कुछ समान मुद्राओं का उल्लेख क्यों ? SAJJANMANI GRANTHMALA Website : www.jainsajjanmani.com,E-mail : vidhiprabha@gmail.com ISBN 978-81-910801-6-2 (XVII)

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