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मुद्रा प्रकरण एवं मुद्राविधि में वर्णित मुद्राओं की प्रयोग विधियाँ ...285
गरुड़ मुद्रा
है तथा क्रोधादि कषाय, अहंकार, तृष्णा, अस्थिरता आदि समस्याओं का निवारण करती है।
• शारीरिक स्तर पर यह मुद्रा गला, मुँह, कान, नाक, कंधे आदि की समस्या, गठिया, कैन्सर, कोष्ठबद्धता, बवासीर, शारीरिक कमजोरी आदि का निवारण करती है।
• इस मुद्रा का प्रयोग पृथ्वी एवं वायु तत्त्व को संतुलित रखता है। यह प्रतिकूलताओं से लड़ने की क्षमता उत्पन्न करते हुए विचारों में स्थिरता एवं दृढ़ता लाती है।
• प्रजनन, थायरॉइड एवं पेराथायरॉइड ग्रंथि के स्राव को संतुलित करते हुए यह मुद्रा आवाज, स्वभाव, व्यवहार, कामेच्छा, रक्त प्रवाह आदि के नियंत्रण में विशेष सहायक बनती है और शरीरस्थ कोलेस्ट्रोल, कैल्शियम फासफोरस आदि को संतुलित रखती है।