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मुद्रा प्रकरण एवं मुद्राविधि में वर्णित मुद्राओं की प्रयोग विधियाँ ...301
66. अपरपाश मुद्रा
पाश मुद्रा का एक अन्य प्रकार अपरपाश मुद्रा है। यह मुद्रा अत्यन्त दुष्ट शक्तियों का निग्रह करने एवं शाकिनी आदि प्रेतात्माओं को उपशान्त करने के प्रयोजन से की जाती है।
इसका बीज मन्त्र ‘लृ’ है।
विधि
" परस्पराभिमुखौ करौ कृत्वा दक्षिणकरमध्यमाऽनामिकाभ्यां वामकरमध्यमाऽनामिकयोर्वल्गनं क्रियते अपरपाश मुद्रा" ।
दोनों हाथों को एक-दूसरे के अभिमुख करके दायें हाथ की मध्यमा और अनामिका से बायें हाथ की मध्यमा और अनामिका को इधर-उधर घुमाने पर अपरपाशं मुद्रा बनती है।
अपरपाश मुद्रा
सुपरिणाम
• अपरपाश मुद्रा को धारण करने से मणिपुर एवं आज्ञा चक्र जागृत होते हैं। इससे आत्मविश्वास, संकल्पबल एवं पराक्रम जागृत होता है। यह मुद्रा