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312... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा 90. मंगल मुद्रा
यह मुद्रा विधिमार्गप्रपा में कथित मुद्रा नं. 69 के तुल्य है।
उपलब्ध प्रति के अनुसार मंगल मुद्रा मांगलिक कार्यों जैसे- हथलेवा, विवाह, प्रतिष्ठा आदि में करते हैं।
इसका बीज मन्त्र 'ध' है। 91. आसन मुद्रा
यह आसन मुद्रा विधिमार्गप्रपा मुद्रा नं. 70 के समान है।
इस मुद्रा का प्रयोग मांगलिक कार्यों के अवसर पर तथा विशेष रूप से प्रतिष्ठा के अवसर पर किया जाता है।
इसका बीज मन्त्र 'न' है। 92. अंग मुद्रा
यह मुद्रा विधिमार्गप्रपा में कथित मुद्रा नं. 71 के समान है।
यह मुद्रा अपने नाम को सार्थक करती हुई अंग रक्षा के निमित्त की जाती है।
इसका बीज मन्त्र ‘प' है। 93. पर्वत मुद्रा
इस मुद्रा का स्वरूप विधिमार्गप्रपा मुद्रा नं. 73 के तुल्य है।
गीतार्थ परम्परानुसार यह मुद्रा स्नात्र पूजा करते वक्त और क्षुद्र उपद्रवों के निवारणार्थ की जाती है।
इसका बीज मन्त्र ‘फ' है। 94. विस्मय मुद्रा - यह विस्मय मुद्रा विधिमार्गप्रपा में निर्दिष्ट मुद्रा नं. 74 के समान है।
इस मुद्रा का उपयोग चमत्कार दिखने पर और प्रतिष्ठा के पश्चात सर्व दोषों के निवारणार्थ किया जाता है।
इस मुद्रा का बीज मन्त्र 'ब' है।