________________
314... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा
• भौतिक स्तर पर एलर्जी, मस्तिष्क, हृदय, फेफड़ें, छाती आदि की समस्याओं का निवारण करती है। मानसिक रोगों में मानसिक स्थिरता एवं शांति प्रदान करती है।
• इस मुद्रा का प्रयोग वायु एवं आकाश तत्त्व को संतुलित रखता है। यह मुद्रा रक्त संचरण एवं श्वसन प्रक्रिया को व्यवस्थित कर अतीन्द्रिय शक्तियों को जागृत करती है तथा ऊर्जा को उत्पन्न कर ऊर्ध्व गमन करवाती है।
• पीयूष एवं थायमस ग्रंथि के स्राव को संतुलित कर यह शरीर की आन्तरिक हलन-चलन, धड़कन, रक्त शर्करा एवं तापक्रम को नियंत्रित रखती है। बालकों में रोगों से बचाव और कामेच्छा को नियंत्रित रखती है। 96. श्रीवत्स मद्रा
एक प्रकार के चिह्न विशेष का नाम श्रीवत्स है। जैन परम्परा में दशवें तीर्थंकर शीतलनाथ प्रभु का यह चिह्न यही माना गया है। हिन्दु मान्यता में भगवान विष्णु का एक विशेषण और हृदयस्थ चिह्न श्रीवत्स है।
श्रीवत्स मुद्रा